Thursday, September 23, 2010

पेरेंट्स के सहयोग के बिना कुछ संभव नहीं

दिल्ली से चुने गए गाजियाबाद के एकमात्र खिलाड़ी हैं राहुल
कुछ कर गुजरने का माद्दा हो तो परिस्थितियां चाहे जैसी भी हो खिलाड़ी अपना मुकाम बना ही लेते हैं। ऐसे ही खिलाडिय़ों में शुमार है गाजियाबाद का राहुल चौधरी। राहुल को हाल ही में डीडीसीए ने उन साठ खिलाडिय़ों में चुना है जिनमें से 20 को चुनकर दिल्ली की स्टेट टीम बनाई जाएगी। राहुल का मानना है कि पेरेंट्स के सहयोग के बिना यह सब संभव ही नहीं था। पहले घरवाले पढऩे के लिए दबाव बनाते थे पर अब सब कुछ ठीक है।
खेल डेस्क
अगर पेरेंट्स सहयोग करते तो शायद कुछ भी संभव होता है। यह कहना है गाजियाबाद के रहने वाले राहुल चौधरी का। राहुल को हाल ही में डीडीसीए (दिल्ली एंड डिस्ट्रिक्ट क्रिकेट एसोसिएशन) ने उन 60 खिलाडिय़ों में चुना है जिनमें से 20 को चुनकर दिल्ली की स्टेट क्रिकेट टीम तैयार की जाएगी। राहुल गाजियाबाद के एकमात्र ऐसे खिलाड़ी हैं जिनका चयन इस साल डीडीसीए में हुआ है। डीडीसीए में चुने जाने से राहुल काफी रोमांचित हैं और अपना पूरा ध्यान अपनी बैटिंग पर लगा रहे हैं।
राइट हैंड के बैट्समैन राहुल पिछले चार सालों से लगातार क्रिकेट खेल रहे हैं और भविष्य में क्रिकेटर ही बनाना चाहते हैं। दिल्ली के रवि ब्रदर्स क्लब में प्रैक्टिस करने वाले राहुल बाबरपुर के सेठ भगवान दास स्कूल में 12वीं कक्षा के छात्र है। इससे पहले 2009 में राहुल को गाजियाबाद से बेस्ट बैट्समैन भी चुना गया था। अपने क्लब की तरफ से राहुल को इंग्लैंड में जाकर क्रिकेट खेलने का अवसर भी मिला था पर पासपोर्ट बना होने के कारण वह इंग्लैंड नहीं जा सका। यह पूछे जाने पर कि खेलने से पढ़ाई का नुकसान नहीं होता तो राहुल बताता है कि स्र्पोट्स कोटे से एडमिशन होने के कारण स्कूल वाले ज्यादा जोर नहीं देते फिर भी वह इतना पढ़ लेता है जिससे अच्छे नंबरों से पास हो सके। पहले राहुल के पापा रणवीर सिंह भी कहा करते थे कि खेलने में कुछ नहीं रखा। पढ़ लिख लो कुछ बन जाओगे। पर जब राहुल ने अपने आपको पूरी तरह क्रिकेट को ही समर्पित कर दिया तो फिर पेरेंट्स ने भी सहयोग करना शुरू कर दिया।
राहुल अपने घर का इकलौता बेटा है इसके कारण भी उसको कई बार क्रिकेट खेलने से रोका जाता था। क्योंकि खेलते वक्त कई बार उसे चोट लगती तो उसकी मां का कहना था कि छोड़ो क्रिकेट खेलना, हमारी बहुत प्रापर्टी है उसी को संभालो। खैर, अपने बेटे की लगन को देखते हुए अब उन्होंने पूरी तरह उसका सहयोग करना शुरू कर दिया है। रोजाना पांच से छह घंटे प्रैक्टिस करना राहुल को शुरू से ही पसंद है। इसकेअलावा वह रोजाना एक घंटे रनिंग करता है।
राहुल बताता है कि क्रिकेट खेलने के लिए अपनी डाइट का ध्यान रखना बेहद जरूरी है। सही डाइट से मिलने वाली ऊर्जा के कारण ही आप ज्यादा से ज्यादा समय तक पिच पर टिक सकते हैं। और अगर आप लंबे समय तक पिच पर टिके रहते हैं तो रन बनाना काफी आसान रहता है। स्कूल टाइम से ही क्रिकेट में दिलचस्पी रखने वाले राहुल पहली बार किसी क्लब से अनुबंधित हुए हैं और लंबे समय तक इसी क्लब केसाथ खेलना चाहते हैं। राहुल का अगला टारगेट रणजी ट्राफी में खेलना है और इसके साथ ही वह आईपीएल में भी अपने जौहर दिखाने को बेताब हैं।
कानपुर, मुंबई, हरियाणा, लखनऊ और भी बहुत से शहरों में मैच खेल चुका राहुल भविष्य को लेकर काफी रोमांचित है। उसके मुताबिक खेल में ही सबसे अच्छा भविष्य है। और इसी काम में आप सबसे ज्यादा इंज्वाय भी करते हैं क्योंकि आपको तो सिर्फ खेलना है। अगर आप मैदान में अच्छा गेम खेलने में कामयाब होते हैं तो राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आपका, आपके पेरेंट्स और आपके देश का नाम ऊंचा होता है। जो फख्र की बात है। इसलिए जो भी क्रिकेट या किसी और गेम में ही अपना भविष्य बनाने के बारे में सोच रहे हैं उनके माता-पिता को उनकी भावनाओं को समझना चाहिए और सहयोग अवश्य करना चाहिए। क्योंकि पेरेंट्स के सहयोग के बिना कुछ संभव नहीं। सचिन तेंदुलकर राहुल के पसंदीदा खिलाड़ी हैं और राहुल उनके हर मैच की हर गेंद को पूरी शिद्दत के साथ देखता है।
राहुल की कामयाबी से हम बेहद खुश हैं। होनहार लड़का है। भविष्य में क्रिकेट की दुनिया में अच्छा नाम कमाएगा। बस अपने खेल पर ध्यान दे, कामयाबियां उसे मिलती ही रहेंगी।
-राजेश त्यागी और अतुल शर्मा, कोच

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