Wednesday, July 7, 2010

अपनी आवाज को बनाएं पहचान

अगर आप अपनी आवाज से लोगों को दिवाना बनाना चाहते हैं तो रेडियो जॉकी आपके लिए बिलकुल सही करियर साबित होगा। एफएम स्टेशनों की बढ़ती लोकप्रियता से युवाओं में आरजे बनने का क्रेज दिन प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है। वहीं भारत सरकार भी देश के विभिन्न हिस्सों में 5000 कम्युनिटी रेडियो स्थापित करना चाहती है जिससे युवाओं के लिए इस क्षेत्र में रोजगार की पूरी संभावना है।
इमरान खान
दिल्ली की मैट्रो रेल हो या लोकल बसें हर जगह आपको कानों में हेड फोन लगा रेडियो सुनते युवा दिख ही जाएंगे। मोबाइल की लोकप्रियता और उसमें रेडियो होने से हर वर्ग आजकल एफएम का दीवाना है। एफएम के बढ़ते प्रचलन से युवाओं में अपनी आवाज दूसरे लोगों तक पहुंचाने की भी प्रबल इच्छा है। आप भी कुछ ऐसा ही सोच रहे हैं तो रेडियो जॉकी आपके लिए सही रास्ता है। इसके लिए जरूरी है कि अच्छी आवाज के साथ ही आपको मनोरंजन करने की कला और लोगों से कम्युनिकेशन करने की तरकीबें भी आनी चाहिए।
आरजे बनने के लिए कुछ जरुरी गुण
अच्छी आवाज : आरजे बनने के लिए यूँ तो किसी खास डिप्लोमा या डिग्री की जरूरत नहीं, बस आपके पास अच्छी आवाज होनी चाहिए। आरजे मल्लिका बताती है कि इस क्षेत्र में केवल आप अपनी आवाज के जरिए दमदार पहचान बना सकते हैं। आपको अपनी आवाज के कल्पनाशील इस्तेमाल और उसके उतार-चढ़ाव के जरिए लोगों को प्रभावित करने की कला आनी चाहिए। ऐसा नहीं है कि जिनकी आवाज पतली होती है वो आरजे नहीं बन सकते। कोई भी अपनी आवाज में बदलाव ला सकता है। मैं भी अभी तक अपनी आवाज पर काम कर रही हूं। कम्युनिटी रेडियो में काम करने का एक और फायदा है कि यहां शब्दों की बाउंडेशन होती है। आम जिंदगी में बोले जाने वाले शब्द भी हम कम ही इस्तेमाल करते हैं क्योंकि हमारे श्रोता ज्यादातर स्टूडेंट्स ही हैं। और अगर हम बंदिश में रहकर बोलना सीख लेंगे तो आगे चलकर हमें कोई परेशानी नहीं होगी।
भाषा और उच्चारण : हिन्दी व अंग्रेजी के साथ आपको स्थानीय भाषा का ज्ञान भी होना चाहिए। आजकल रेडियो पर जिस भाषा का इस्तेमाल किया जाता है वह ठीक हिंदी नहीं है। वह मिक्स भाषा है। उसमें हिन्दी के साथ अंग्रेजी तथा अन्य बोलियों को शामिल किया जाता है। फिर उच्चारण सही और साफ होना चाहिए।
जनरल अवेयरनेस : रेडियो सिर्फ गीत-संगीत सुनाने और मनोरंजन करने भर का माध्यम ही नहीं रह गया है। इसके जरिए दुनिया जहान की इन्फॉर्मेशंस और हलचलों की जानकारियाँ भी दी जाती हैं। इसलिए एक अच्छे आरजे में जनरल अवेयरनेस होना चाहिए। इसके लिए जरूरी है कि वह न्यूज चैनल्स के साथ ही तमाम न्यूज पेपर्स और मैग्जीन्स को नियमित पढ़ता रहे और अपने को अपडेट रखे।
हमेशा खुश : आरजे का कोई समय निश्चित नहीं होता है। उसे प्रोग्राम प्रेजेंट करने के लिए कभी भी कॉल किया जा सकता है लिहाजा यह जरूरी है चाहे वो उदास हो या कुछ और माइक्रोफोन पर उसे हमेशा खुश और एक जिंदादिल आरजे बनना पड़ता है। क्योंकि सारा खेल ही आवाज का है लिहाजा आपकी आवाज ही आपके व्यक्तित्व का आईना होती है।
ये हैं फिल्मी आरजे : खासी चर्चित और हिट फिल्म लगे रहो मुन्नाभाई में अभिनेत्री विद्या बालन की अदा और आवाज के खास उतार-चढ़ाव के जरिए बोलती हैं-गुड मॉर्निंग मुंबई कि मुन्नाभाई की तरह अक्खा मुंबई फ्लैट हो जाता है। फिल्म नमस्ते लंदन में प्रिटी जिंटा मजेदार शो प्रेजेंट करती हैं और स्टेशन की स्टार आरजे बन जाती हैं और अब तो आने वाली फिल्म रेडियो में गायक हिमेश रेशमिया भी रेडियो जॉकी के रोल में दिखाई देंगे। कमीने फिल्म के प्रमोशन के लिए शाहिद कपूर से लेकर विशाल भारद्वाज तक थोड़ी देर के लिए आरजे बन गए थे। यह दिल के दरवाजे खोलकर जी भरकर बोलने का करियर है।
सेंस ऑफ ह्यूमर : बोरिंग एंकरिग या होस्टिंग कौन पसंद करता है? लिहाजा अच्छे आरजे में सेंस ऑफ ह्यूमर का होना जरूरी है। वह अपने प्रोग्राम को स्तरीय हास्य से मजेदार बना सकता है। इस तरह वह अपनी एक यूएसपी बना सकता है।
फ्रेंडली : अच्छे आरजे बनने के लिए आप को लोगों से कम्युनिकेशन करने के लिए फ्रेंडली होना होगा यानी ज्यादा स्वाभाविक, ज्यादा अनौपचारिक और कोई भी बनावटीपन नहीं।
राइटिंग और प्रेजेंटिंग स्किल्स : अच्छा आरजे अपनी स्क्रिप्ट भी खुद लिखता है। इसलिए अपने प्रोग्राम या शो को दिलचस्प बनाने के लिए दिलचस्प अंदाज के साथ लिखना भी आना चाहिए और लिखने के बाद उसे उतने ही चुटीले अंदाज के साथ प्रस्तुत करना भी आना चाहिए।
म्यूजिक-लवर : कहने की जरूरत नहीं आरजे को म्यूजिक लवर होना चाहिए। उसे न केवल बॉलीवुड के गीत-संगीत की अपडेट जानकारी होना चाहिए बल्कि इंटरनेशनल म्यूजिक के बारे में भी जानकारी होनी चाहिए। कौन सी फिल्में आ रही हैं, कौन से एलबम्स और कौन से गीत हिट हो रहे हैं, किस संगीतकार, गीतकार का अच्छा गीत कौन सा है, इसकी जानकारी उसे अच्छा प्रेजेंटर बना सकती है।
कम्युनिकेशन स्किल्स : आरजे को आम लोगों से लेकर सेलिब्रिटीज से बातचीत करना होती है लिहाजा कम्युनिकेशन स्किल्स होना चाहिए, ताकि वह बात को बेहतर ढंग से कह सके।
कम्युनिटी रेडियो से करें शुरुआत
दिल्ली युनिवर्सिटी के कम्युनिटी रेडियो की स्टेशन हेड विजय लक्ष्मी बताती हैं कि जिन युवाओं को आरजे के तौर पर अपनी पहचान बनानी है वो कम्युनिटी रेडियो से शुरुआत करें तो अच्छा हैं क्योंकि यहां युवाओं को अपनी प्रतिभा को निखारने का भरपूर मौका दिया जाता है। विद्यार्थी जो कोर्सेस करते हैं उनमें उनको प्रेक्टिकल ट्रेनिंग नहीं मिलती इसलिए जरुरी है कि वो या तो किसी कम्युनिटी रेडियो में इंर्टनशिप करें या फिर वहां बतौर ट्रेनी नौकरी भी कर सकते हैं। ऐसे स्थानों पर काम करने से उनमें हौंसला बढ़ता है जिससे वो बड़े से बड़े प्रेशर को फेस करने के काबिल बनते है। उन्होंने बताया कि भारत सरकार भी गांवों और शहरों में कम्युनिटी रेडियो की गिनती बढ़ाना चाहती है जिससे उन्हें इस क्षेत्र में रोजगार ढूंढने में भी कोई परेशानी नहीं होगी।
क्रिएटिव होना बेहद जरुरी
आरजे चिंतन बताती है कि रेडियो पर आपको अपनी क्रिएटिविटी दिखानी होगी। स्क्रिप्ट से लेकर कार्यक्रम प्रस्तुत करने में रचनात्मक होना चाहिए। इसके अलावा आरजे यदि कल्चरली एक्टिव होगा तो वह ज्यादा बेहतर ढंग से चीजों को प्रस्तुत कर सकेगा। युवाओं की इस क्षेत्र में सफलता का कारण भी है क्योंकि उनके पास जोश, नए विचार और नए कॉनसेप्ट होते हैं जो इस क्षेत्र के लिए बहुत जरूरी हैं। इसलिए उन्होंने इस क्षेत्र को चुना ताकि वो अपनी आवाज को दुनिया में फैला सके और काम को अपने तरीके से कर सके। चिंतन के मुताबिक अगर आप बड़े रेडियो स्टेशन में काम करते हैं तो ये एक ग्लैमरस जॉब भी है। लोग आपको जानते हैं आपको मिलते हैं ये काफी अच्छा लगता है।

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